प्रोटीन एक ऐसा मैक्रो खाद्यय तत्व है जिसे सेहत के प्रेमी एक अमूल्य पदार्थ मानते है। कोई शक नहीं है कि प्रोटीन ही शरीर है और शरीर का हर अंग या हिस्सा प्रोटीन व् अन्य माइक्रो तत्वों के साथ मिल कर बनता है। जैसे की प्रोटीन कैल्शियम से मिल कर हड्डियो को , आयरन से मिल कर खून को और पानी व अन्य माइक्रो मिनरल से मिल कर मांसपेशियो आदि को बनाते है। कर्बोस व् वसा या फैट्स शरीर की ऊर्जा है जिसकी आवश्यकता उतनी जरुरी है जितना पेट्रोल गाड़ी के लिए जरुरी होता है।
तीनो मैक्रो तत्वों में से प्रोटीन ही है जो शरीर का हिस्सा बन कर शरीर में खप जाता है। शरीर को प्रोटीन की मात्रा 25 से 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी
चाहिए और ना ही कम लेना चाहिए। कम लेने से मांसपेशिया बड़ नहीं पाती और कमजोरी महसूस होती है ओर ज्यादा लेने पर ज्यादा प्रोटीन हज़म नहीं हो पाता। पर्याप्त मात्रा में लिया गया प्रोटीन ही हज़म हो पाता है। क्योकि हमारे डिजेस्टिव सिस्टम में प्रोटीन हज़म करने के लिए उतना ही प्रोटीओलीटिक एंजाइम व् हाइड्रो क्लोरोक एसिड होता है जितना प्रोटीन को डाइजेस्ट करने के लिए जरूरी है।
एक औसत व्यक्ति और औसत काम करने वाला, एक समय में 20 से 25 ग्राम प्रोटीन ही हज़म कर पाता है। या अगर कोई भारी काम या व्ययाम करने वाला ज्यादा से ज्यादा 30 या 35 ग्राम ही हज़म कर पता है। और उसी के हिसाब से शरीर हज़म करने वाले तत्व पैदा करता है। अगर हम जरूरत से जयदा प्रोटीन एक समय में लेंगे तो डाइजेस्ट कम होने के वजह से ज्यदा खाया प्रोटीन हज़म न हो कर पैखाने में बह जाता
है। इस प्रकार खुराक और पैसा बेकार जाता है। इस लिए हमे उतना ही प्रोटीन लेना चाहिए जितना हमे पर्याप्त है।और प्रोटीन हमें 80 से 90 प्रतिशत हमे अपनी खुराक यानि कि दाल,रोटी, चावल , अंडा , मीट व् साग सब्जियो से लेना चाहिए। अगर
कोई शारीरक उत्तमता चाहिए तो सप्लीमेंट प्रोटीन अति उत्तम है।
डॉ। रणधीर हस्तिर