कया आप ने कभी सोचा है की जब हम सैर करते है तो हमारी कौन सी मास्पेशिआ पूरी तरह से प्रभावित होती है ! हाँ कुछ जोर पिण्डलिओ तथा जांघो पर पड़ता है और हमारे एड़ी , घुट्नो तथा कुल्हो को बार बार अनेको बार हिलना पड़ता है ! जवानी में तो अच्छा तथा ज्यादा उम्र में विपरीत असर पड़ता है ! इस प्रकार दौड़ते समय हम अपने जोड़ो को जरूरत से जयादा बार प्रयोग में लाते है ! जिस से हमारे जोड़ जरूरत से जयादा प्रयोग में आते है और उनकी बनावट तथा हड्डीओं पर बुरा असर पड़ता है! सोचा जाये तो दौड़ते सयमे चाहे सड़क पे या ट्रेडमिल पे हमारे सारे जोड़ो को कितनी सजा मिलती है ! जब की हमारी मास्पेशिआ जयादा नहीं थकती और सारी क्रिया एक लगातार रिदम में चलती रहती है, जिसमे हमारे मसल्स का कोई ज्यादा जोर नहीं लगता और हमें एक तरह की कार्डिओ फिटनेस ही मिलती है, परनतु इस से हमारी मास्पेशिअ न तो मजबूत और न ही शारीरिक बनावट में अंतर आता है !
दूसरी तरफ बॉडीबीडिंग व्ययाम जिन में हमारे शरीर के विभिन मास्पेशिआ मूवमेंट के समय पूरी तरह से कॉन्ट्रैक्ट तथा रिलैक्स होती है और जोड़ो को पूरी तरह से क्रिया को पूर्ण करना पड़ता है ! स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में हम किसी भार या वजन के खिलाफ जोर लगते है और 8 से 20 रेप्स करने के लिए जोर लगाना पड़ता है ! ऐसा करने से हमरे मसल थक जाते है और जोड़ो को जयादा काम नहीं पड़ता! दूसरी तरफ मसल्स को एक बार पूर्ण थकने वाला असर मिल जाता है तो मास्पेशिआ अगले 24 से 72 घंटो तक रिकवरी पर चली जाती है और अगली बार के लिए मजबूत तथा ताकतवर हो जाती है ! धीरे धीरे हमारी मास्पेशिआ मजबूत, सुदृढ़ , अकार में बड़ी, स्फूर्ति तथा अछि बनावट वाली हो जाती है जिस से देखने वाले लोग तो आपके शरीर को देख कर आपसे ईर्षा तो करे गए ही, और आप में आत्म विश्वास उत्पन होगा और आप अपनी बढ़ती हुई उम्र तक स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के असर से भी जयादा उम्र निरोग, ताकतवर तथा सेहतमंद रहेंगे !