जब हम बढ़ी और ज्यादा बढ़ी बाजू की बात करते है तो सिर्फ बाइसेप की ही बात होती है। जबकि बाजू के टोटल मॉस का 60% ट्राईसिप्स के तीनो हिस्से ( हेड्स ) बनाते है। बाकि हिस्सा बाइसेप्स और ब्रेकोरएडीएलिस मसल्स बनाते है। एकला बाइसेप्स तो बाजु की बनावट बढ़िया देता है।ये एक सत्य है की हर वयक्ति के बाइसेप्स की बनावट अलग अलग होती है। चाहे कोई भी विभिन् व्ययाम करे बाइसेप्स की बनावट में अन्तर नहीं आ सकता। परंतु व्ययाम से आकर और बनावट बढ़िया हो जाते है। परंतु किसी दूसरे चैंप जैसी आकर नहीं बन सकती।
अगर आप की बड़े साइज़ में बाजु चाहिए तो ट्राइसेप्स के व्य्यामो पर ज्यादा तथा बाइसेप के वय्यामो के साथ साथ सभी पुशिंग तथा पुल्लिंग वय्यामो पर जोर लगाना अति आवश्यक है। पुल्लिंग व्ययाम जैसे चिन्निंग, ग्राउंड पुल्ली , रोइंग , डेड लिफ्ट आदि और पुशिंग व्ययाम जैसे अलग तरह के बेंच प्रेसस, फ्रंट प्रेसस , पुश अपस, डिप्स आदि ऐसे व्ययाम है जिनसे बाजु की मोटी मांसपेशिया मजबूत और ताकतवर होती है।
दूसरी तरफ ट्राइसेप्स एक ऐसा मसल है जिसे विभिन्न व्ययाम जैसे कि ट्राइसेप्स एक्सटेंशन , पुल्ली पुश डाउन , लाइंग ट्राइसेप्स, किक बैक आदि व्ययाम ट्राइसेप्स से किया जा सकता है। बाइसेप्स के साथ ट्राइसिप के व्ययाम अति आवश्यक है। बड़ी बाजु बनाने के लिए बाजु के जरुरत से जयदा व्ययाम करने से और छोटी हो जाये गी। क्यों की अप्पर बॉडी का कोई भी व्ययाम करे चाहे व् पुशिंग या पुल्लिंग हो, तो सारा काम बाजु को ही करना पड़ता है इस प्रकार उसे ओवर ट्रैनिंग हो जाती। ओवर ट्रेनिंग से बाजु बढ़ने की जगह और कमजोर और आकर में हो जाये गी।
डॉ रणधीर हस्तिर