क्या बच्चों के लिए जिम जरुरी है ??

क्या बच्चों के लिए जिम जरुरी है

कई लोग ऐसा सोचते हैं की बच्चों को एक्सरसाइज करने की कोई ज़रूरत ही नहीं है जबकि यह गलत है। बच्चों को एक्सरसाइज करनी चाहिये लेकिन वो उनके उम्र के हिसाब से होनी चाहिये। बच्चों और बड़ों के लिये अलग-अलग तरह के व्यायाम बताये गये हैं। आज के समय में बच्चों को एक्सरसाइज करवाना इसलिये भी ज़रूरी हो गया है क्योंकि आजकल बच्चे अपना अधिकतर समय कंप्यूटर पर गेम खेलते हुये बिताते हैं और बाहर खेले जाने खेलों को कम खेलते हैं। वैसे भी आजकल के किशोर खुद ही अपने लुक्स को लेकर काफी सजग हो गए हैं। ऐसे में गुड लुक्स के लिए अपनी डाइट, स्पा पार्लर, ड्रेसिंग, एक्सेसरीज, सब ओर उनका रुझान बढ़ रहा है। इसी फेहरिस्त में जिम ने भी महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है। जिम किशोरों के रूप को तो बेहतर बनाने में सहायक होता ही है, साथ ही उन्हें दुरुस्त भी रखता है| किशोरावस्था ऐसी अवस्था है, जिसमें जिम जाना शुरू किया जाए तो वह शरीर के लिए मजबूत नींव का काम करता है,लेकिन इसके विपरीत इस समय जिम की क्रियाओं से जुड़ी थोड़ी-सी लापरवाही भविष्य के लिए कई मुश्किलें भी खड़ी कर सकती है।

उद्देश्य क्या है

हर किसी की शारीरिक बनावट अलग होती है और उसकी शारीरिक जरूरतें भी, इसलिए यह गौर करना बेहद आवश्यक होता है कि आपके शरीर को जिम की जरूरत क्यों है। यह बात किशोरों के लिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उस समय उनके शरीर का विकास हो रहा होता है और जिम में वर्कआउट उनके शरीर की रचना को प्रभावित करता है। यह जरूरी है कि वे अपने शरीर की रचना प्रक्रिया के अनुसार ही व्यायाम करें। आपको जिम में वजन कम करना है,लम्बाई बढ़ानी है,वजन बढ़ाना है,बॉडी बिल्डिंग के लिए जाना है या सिक्स पैक एब्स की चाह है,इन सभी के वर्कआउट की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। इसलिए जिम जाने का उद्देश्य तय कर उसी के अनुसार उससे संबंधित उचित निर्देश,मार्गदर्शन और आहार को अपनाएं।

12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए क्या है जरूरी - जिम या व्यायाम ?

इस उम्र में सबसे ज्यादा फोकस मूवमेंट स्किल और बॉडी कंट्रोल पर देना चाहिये। इसलिए बच्चे को फ्री रनिंग, हाथों से किये जाने वाले काम, एरोबिक्स, और साधारण खेल जैसे की दौड़ना, बॉल कैच करना इत्यादि में व्यस्त रहने दें। इस तरह के व्यायाम बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, साथ ही मसल्स मास को बेहतर करते हैं।

जिम जाने की सही उम्र को लेकर सबके अलग अलग विचार है | साधारणतया भारत में अधिकतर लोग 14 साल की आयु तक ही अपने बच्चों को जिम भेजते हैं |

जिम में 13-14 साल के बच्चे भी आते हैं। 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वेट ट्रेनिंग की बजाय दूसरे व्यायाम करने चाहिए । वेट ट्रेनिंग की जगह कार्डियो, ट्रेडमिल वॉक, सिटअप्स, पुशअप्स करने चाहिए । वेट ट्रेनिंग और पावर लिफ्टिंग से बच्चों को आंतरिक चोट लग सकती है और इससे उनकी लंबाई कम रह सकती है।

ज्यादा देर व्यायाम करें

किशोरावस्था में जिम में बहुत ज्यादा देर तक या बहुत हैवी वर्कआउट नहीं करें। वर्कआउट उतनी देर करें, जिससे आप ज्यादा थकें नहीं और अन्य मूवमेंट्स सुचारु रूप से कर सकें। टीनएजर्स शुरुआत में तीस से पैंतालीस मिनट तक जिम में व्यायाम करें। यदि आप काफी समय से जिम जा रहे हैं तो ही एक से सवा घंटे तक व्यायाम करें।

खाने पर दें विशेष ध्यान

किशोरावस्था में आहार का भी खास ख्याल रखना चाहिए। 18 वर्ष से कम आयु होने पर तो डाइट सप्लीमेंट्स का प्रयोग कम करना चाहिए और किशोरों को जिम में व्यायाम के दौरान पहले और बाद के खाने पर खास ध्यान देना चाहिए। इस उम्र में ओवर हाइट वेट लिफ्टिंग न करें। इससे शरीर की लम्बाई रुक सकती है। लम्बाई बढ़ाना चाहते हैं तो हाइट गेनिंग प्रोग्राम्स जैसे चिन अप्स आदि वर्कआउट करें।

प्रशिक्षित ट्रेनर से ही ले ट्रेनिंग

जिम में किसी प्रशिक्षित ट्रेनर से ही प्रशिक्षण लेना उचित रहता है,क्योंकि युवाओं को अपनी आयु के अनुसार ही व्यायाम करने चाहिए|उन्हें कितने घंटे और वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज के बारे में पूरी जानकारी एक अनुभवी जिम ट्रेनर ही दे सकता है|इसलिए उन्हें ट्रेनर की निगरानी में ही एक्सरसाइज करनी चाहिए |

दूसरों के नजरिये से अपने शरीर को देखना

आजकल जिम जाने वाले युवाओं में यह समस्या आम देखने को मिलती है की वे लोग दूसरों के नजरिए से अपनी बॉडी को देखते है|सामने वाले उनकी बॉडी,उनकी उभरी हुई मांसपेशियों को देखे और उनकी बॉडी की प्रशंसा करें ,इसके लिए वे कुछ व्यायाम को बार-बार करते है|लेकिन मसलस उभारने के चक़्कर में वे रिपिटेटीव् इंजरी और पैटर्न ओवरलोड के शिकार हो जाते है|इस तरह बिना सोचे समझे बॉडी बिल्डिंग के सिद्धांतों का पालन करने का नतीजा अक्सर दर्द,चोट या खराब बॉडी के रूप में सामने आता है|इसलिए बॉडी बनते समय युवाओं को ये ध्यान रखना चाहिए की उन्हें केवल एक या दो मांसपेशियों को उभारने तक ही अपना लक्ष्य नहीं रखना चाहिए, बल्कि ट्रेनर के दिशा निर्देशों के अनुसार ही बॉडी बनानी चाहिए|

इस प्रकार जितनी तेजी से किशोरों में बॉडी बिल्डिंग का क्रेज बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से उनमे बॉडी बिल्डिंग को लेकर कई मिथ भी अपनी जगह बना रहे हैं |उनमे स्टेरॉयड,प्रोटीन शेक्स,हेल्थ सप्लीमेंट्स को लेकर भी कई संशय है|कुछ युवा स्टेरॉयड को ही बॉडी बनाने का अच्छा जरिया मानते है ,लेकिन बेहतर यही होगा की आप सुनी सुनाई बातों पर ध्यान न दें,क्योंकि बॉडी बिल्डिंग एक प्रक्रिया है,सही परिणाम के लिए शरीर के अनुरूप व्यायाम,सही डाइट और साथ ही अच्छे इंस्ट्रक्टर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है |

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